Headline
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ. तनुज भाटिया को इण्डियाज़ बैस्ट डाॅक्टर्स अवार्ड से किया गया सम्मानित
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ. तनुज भाटिया को इण्डियाज़ बैस्ट डाॅक्टर्स अवार्ड से किया गया सम्मानित
स्वास्थ्य विभाग में गैरहाजिर चल रहे 158 चिकित्सक बर्खास्त, ऐलोपैथिक चिकित्सकों के रिक्त पदों पर शीघ्र होगी नई भर्ती
स्वास्थ्य विभाग में गैरहाजिर चल रहे 158 चिकित्सक बर्खास्त, ऐलोपैथिक चिकित्सकों के रिक्त पदों पर शीघ्र होगी नई भर्ती
राज्यपाल ने नेत्र रोग जागरूकता गोष्ठी एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन सप्ताह के उद्घाटन कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
राज्यपाल ने नेत्र रोग जागरूकता गोष्ठी एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन सप्ताह के उद्घाटन कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की तीन नए आपराधिक कानूनों के उत्तराखंड में क्रियान्वयन की सराहना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की तीन नए आपराधिक कानूनों के उत्तराखंड में क्रियान्वयन की सराहना
मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय इंद्रमणि बड़ोनी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित कर दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय इंद्रमणि बड़ोनी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित कर दी श्रद्धांजलि
सीईओ बीकेटीसी के निर्देश पर संस्कृत विद्यालय कमेड़ा के छात्र-छात्राओं ने किया श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों एवं औली का शैक्षिक भ्रमण
सीईओ बीकेटीसी के निर्देश पर संस्कृत विद्यालय कमेड़ा के छात्र-छात्राओं ने किया श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों एवं औली का शैक्षिक भ्रमण
पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की शिष्टाचार भेंट
पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की शिष्टाचार भेंट
मुख्यमंत्री धामी से विधायक मदन कौशिक ने की शिष्टाचार भेंट, हरिद्वार ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर को लेकर हुई चर्चा
मुख्यमंत्री धामी से विधायक मदन कौशिक ने की शिष्टाचार भेंट, हरिद्वार ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर को लेकर हुई चर्चा
मुख्यमंत्री धामी से बॉलीवुड की अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे ने की शिष्टाचार भेंट
मुख्यमंत्री धामी से बॉलीवुड की अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे ने की शिष्टाचार भेंट

भाजपा के इस दांव में खतरे भी

भाजपा के इस दांव में खतरे भी
Spread the love

हरिशंकर व्यास
लेकिन क्या भाजपा इस दांव में कामयाब हो पाएगी? कई बार इस तरह के दांव उलटे पड़ते हैं। कई बार कमजोर के प्रति सहानुभूति होती है। बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में तो डबल इंजन की डबल एंटी इन्कम्बैंसी हो सकती है। बिहार में जनता दल यू को साथ लेने के बाद भाजपा का पुरानी और छोटी सहयोगी पार्टियों से तालमेल बिगड़ा है क्योंकि उनको देने के लिए भाजपा के पास सीटें कम हैं।

दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन की पार्टियों में बेहतर तालमेल बना है। ध्यान रहे पिछली बार किशनगंज सीट पर मुकाबला इस वजह से था कि ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार को करीब तीन लाख वोट मिल गए थे। इस बार ऐसा होने की संभावना बहुत कम है। इसलिए किशनगंज सीट पर कांग्रेस या विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार के जीतने के चांस ज्यादा हैं। इसी तरह सीमांचल की अनेक सीटों पर और पिछली बार कांटे की टक्कर वाली यादव बहुल सीटों पर भी मुकाबला आसान नहीं है।

पप्पू यादव के साथ आने से सीमांचल का गणित अलग ढंग से बन रहा है। सीमांचल में पूर्णिया से लेकर अररिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, खगडिय़ा, कटिहार तक पटना में पाटलिपुत्र और मगध में जहानाबाद जैसी सीटों पर कांटे का मुकाबला है। झारखंड में सिंहभूम सीट पर कोड़ा परिवार की मदद से भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत की है लेकिन यह इस बात की गारंटी नहीं है कि वह पिछली बार की तरह 14 में से 12 सीट जीत जाए। पिछली बार तीन सीटों पर कांटे की टक्कर हुई थी। लोहरदगा में कांग्रेस नौ हजार और खूंटी में डेढ़ हजार वोट से हारी थी।

दुमका में शिबू सोरेन भी 30 हजार के करीब वोट से हारे थे। इन सीटों पर इस बार भाजपा के लिए लड़ाई आसान नहीं है। इसके अलावा लहर के बावजूद पिछले दोनों चुनावों में भाजपा राजमहल सीट नहीं जीत पाई। ऐसा लग रहा है कि चार से छह सीटों पर विपक्षी गठबंधन बहुत मजबूत है।

शास्त्रीय राजनीति के नजरिए से देखें तो ओडिशा में भाजपा ने वह गलती की है, जो पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने और केरल में कांग्रेस व लेफ्ट मोर्चा ने नहीं की। ओडिशा में बीजू जनता दल और भाजपा सत्तारूढ़ व मुख्य विपक्षी पार्टी हैं। उनके साथ आ जाने से विपक्ष का पूरा स्पेस कांग्रेस के लिए खाली हो गया। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 13 फीसदी वोट वाली पार्टी थी, लेकिन इस बार वह बीजू जनता दल और भाजपा दोनों के खिलाफ लड़ेगी तो दोनों का विरोधी वोट उसी की ओर जाएगा।

बीजद और भाजपा का वोट पिछली बार 81 फीसदी से ऊपर था, जिसमें इस बार बड़ी कमी आएगी। अपनी लोकसभा की आठ सीटों में कुछ बढ़ोतरी के लिए भाजपा ने सत्तारूढ़ बीजद से तालमेल का फैसला किया है, जिससे विपक्ष का स्पेस एक बार कांग्रेस को मिलेगा, जो भाजपा के मुख्य विपक्षी बनने से तीसरे स्थान पर चली गई थी।

इस बीच ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज आदिवासी नेता गिरधर गमांग की पार्टी में वापसी हुई है तो तटीय ओडिशा के कद्दावर नेता श्रीकांत जेना भी लौटे हैं। वे तटीय ओडिशा की तीन अलग अलग सीटों से सांसद रह चुके हैं। सो, ऐसा न हो कि कांग्रेस को निपटाने का यह दांव भाजपा को भारी पड़ जाए?

उत्तर प्रदेश में भाजपा का दांव अभी चल रहा है क्योंकि वहां राममंदिर का उद्घाटन हुआ है और रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। लेकिन वहां भी ज्यादा सीटें लडऩे की भाजपा की जिद के चलते सहयोगी पार्टियों को गिनी चुनी सीटें मिली हैं। हां, यह जरूर है कि भाजपा ने नए सहयोगी जयंत चौधरी की पार्टी रालोद के एक नेता को मंत्री बना दिया है तो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर को भी मंत्री बना दिया है।

भाजपा ने अपनी चार सहयोगी पार्टियों को छह सीटों में निपटाया है। रालोद और अपना दल को दो-दो तो ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद की पार्टी को एक-एक सीट दी गई है। इनके साथ साथ भाजपा अपना पिछड़ा नेतृतव आगे कर रही है। लेकिन दूसरी तरफ अखिलेश यादव भी यादव मोह छोड़ कर अन्य पिछड़ी जातियों को ज्यादा सीटें दे रहे हैं।

पिछली बार की तरह इस बार शिवपाल यादव की पार्टी उनको डैमेज नहीं कर रही है, बल्कि शिवपाल यादव अब साथ में हैं और लोकसभा चुनाव भी लड़ रहे हैं। बसपा प्रमुख मायावती के निष्क्रिय होने से उनका वोट बिखर रहा है, जिसका एक हिस्सा सपा और कांग्रेस के साथ जा सकता है। इस बार 20 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी में भी कोई कंफ्यूजन नहीं है क्योंकि कांग्रेस और सपा साथ लड़ रहे हैं। ऊपर से पार्टी का आंतरिक कलह कई मामलों में देखने को मिला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top