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युवाओं में हार्ट अटैक- सिर्फ एक नहीं, कारण अनेक

युवाओं में हार्ट अटैक- सिर्फ एक नहीं, कारण अनेक
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 -अतुल मलिकराम
यार उसे हार्ट अटैक कैसे आ सकता है? वह तो हट्टाकट्टा जवान और एकदम फिट था! पिछले दो-चार सालों में हार्ट अटैक के कुछ आश्चर्यजनक मामले देखने के बाद आपके भी जहन में यह सवाल जरूर उठा होगा। जहां हार्ट अटैक को कभी बुजुर्गों को होने वाली बीमारी समझा जाता था, वह आज 25 से 40 आयु वर्ग के युवाओं के दिलों को भी अपनी चपेट में लेने लगा है। कोई क्रिकेट खेलते हुए अचानक हार्ट अटैक का शिकार हो जाता है, तो कोई डांस करते-करते दिल पकड़कर भगवान को प्यारा हो रहा है, कोई जिम में एक्सरसाइज करते हुए तो कोई योग-ध्यान में बैठे-बैठे ही अपने दिल की धड़कनों को थमते हुए देख रहा है। ऐसे मामले सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज में काफी देखने को मिल रहे हैं। लेकिन हार्ट अटैक के मामले में कुछ ऐसे नाम भी सामने आए हैं, जिनकी लाइफस्टाइल देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि उन्हें दिल का दौरा पड़ सकता है, जैसे बिग बॉस विनर और यूथ आइकॉन सिद्धार्थ शुक्ला, मशहूर प्लेबैक सिंगर केके और महज 25 साल के तमिल व हिन्दी टीवी एक्टर पवन सिंह…।

जब अपनी हेल्थ और फिटनेस को लेकर बेहद एलर्ट रहने वाले ये सेलिब्रिटीज भी हार्ट अटैक का शिकार हो सकते हैं, तो जाहिर तौर पर मामला गंभीर और डराने वाला है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में 40-69 साल के आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 45 प्रतिशत मामले दिल की बीमारियों के होते हैं। तो अब सवाल यह है कि भारत में खासकर युवाओं में दिल की बीमारियां आखिर इतनी तेजी से घर क्यों कर रही हैं? क्या स्ट्रेस इसका प्रमुख कारण है? जवाब हां या न जो भी हो, लेकिन इससे निजात पाने के लिए हम सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर रहे हैं, यह गौर करने वाली बात है।

मेडिकल एक्सपर्ट्स की मानें, तो भारतीय युवाओं की लाइफस्टाइल में हो रहे अंधाधुंध बदलाव, इसका एक प्रमुख कारण हो सकते हैं, जो उनके शरीर में डायबिटीज, मोटापा, बीपी या बैड कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं और ये बीमारियां सीधे तौर पर हार्ट अटैक के खतरे को दिन-प्रतिदिन बढ़ावा दे रही हैं। हालांकि लाइफस्टाइल के साथ-साथ रिलेशनशिप से जुड़े भावुक मामले, घर से अधिक बाहरी खाने पर निर्भरता, ऑफिस के काम का जरुरत से अधिक प्रेशर व स्ट्रेस, डेली रूटीन पर न के बराबर ध्यान, सोने का लगातार कम होता समय और शौक के चक्कर में अत्यधिक शराब व सिगरेट का सेवन, जैसी आदतें भी युवा दिलों को बीमार करने का कारण बन रही हैं।
ऐसे में हम सीधे तौर पर स्ट्रेस को युवाओं में हार्ट अटैक से जोड़कर नहीं देख सकते, बल्कि उपरोक्त कारणों के आधार पर खुद की दिनचर्या में झांकने और उसे सुधारने की जरुरत के हिसाब से भी समझ सकते हैं। स्ट्रेस एक कारण जरूर हो सकता है, लेकिन वह है क्यों, उसे समझने की क्षमता विकसित करना बहुत जरुरी है। डॉक्टर्स या हेल्थ एक्सपर्ट्स आपको आपका दिल तंदरुस्त रखने के कई उपायए जैसे आपकी डाइट में ओमेगा फैटी एसिड से भरपूर चीजें और हरी सब्जियां शामिल करने का सुझाव दे सकते हैं, लेकिन आप खुद को और अपने दिल को कितना समझते हैं, इसका रास्ता आपको खुद ही निकालना होता है।

कॉम्पिटिशन के इस दौर में चीजें तेजी से भाग रही हैं, लेकिन युवा ठहरे हुए हैं। घंटों कुर्सी पर बैठे काम करना हो या मार्केटिंग के लिए दिनरात भटकना हो, लग्जरी लाइफस्टाइल के चक्कर में लाखों रुपए के लोन का बोझ सिर पर ढोना हो या फिर दुनिया क्या कहेगी के फेर में फंसना हो, इन सब के बीच यदि युवा पीढ़ी खुद से खुद को डिसिप्लिन रखने का फैसला करती है तो निश्चित ही तमाम उलझनों और तनाव के बाद भी दिल को मजबूत रख सकता है। डिसिप्लिन से अर्थ खुद से किए गए कुछ नेक वादे हैं, जो आपको सूरज के उगने से पहले उठने और सूरज की तरह चमकने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जाहिर तौर पर खान-पान और व्यायाम में अनुशासन आपको मानसिक रूप से विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति देगा। अंत में बस इतना ही कह सकता हूं कि जिसे तूफान से उलझने की हो आदत मोहसिन, ऐसी कश्ती को समंदर भी दुआ देता है।

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