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धारचूला-तवाघाट नेशनल हाईवे के चेतुलधार के पास हुआ भारी भूस्खलन
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रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम व पुरस्कार वितरण के साथ संपन्न हुआ पोखरी मेला
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बेरोजगारी का संगीन साया

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एक तो आशंका है कि इस वर्ष विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी का शिकार हो सकती हैं। दूसरी तरफ टेक कंपनियां अब बड़े पैमाने पर एआई का इस्तेमाल कर रही हैं। इस कारण पहले जितने कर्मचारियों की जरूरत पड़ती थी, अब उतनी नहीं रह गई है। नए साल की शुरुआत के साथ टेक्नोलॉजी क्षेत्र की कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी की खबरें आने लगी हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक सभी ने एलान किया है कि इस वर्ष वे अपनी कर्मचारियों की संख्या में कटौती करेंगी। इसकी दो वजहें बताई गई हैं। एक तो आशंका है कि इस वर्ष विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी का शिकार हो सकती हैं। दूसरी तरफ ये कंपनियां अब बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर रही हैं। इस कारण पहले जितने कर्मचारियों की जरूरत पड़ती थी, अब उतनी आवश्यकता नहीं रह गई है। इस बीच टीसीएस और इन्फोसिस जैसी भारत की भी बड़ी कंपनियों ने अपनी पिछली तिमाही की जो रिपोर्ट जारी की है, उसके परिणाम निराशाजनक आए हैं। इसका प्रभाव इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर अवश्य पड़ेगा। मतलब यह कि हाई टेक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए संकटपूर्ण दिन आने वाले हैं। वैसे यह सूरत सिर्फ टेक क्षेत्र की नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने चेतावनी दी है कि नए साल में दुनिया भर में बेरोजगारी बढऩे का अंदेशा है।

आईएलओ ने कहा है कि साल 2022 में वैश्विक बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत थी, जो पिछले साल थोड़ी बेहतर होकर 5.1 प्रतिशत रही। लेकिन आईएलओ के अध्ययन के मुताबिक 2024 में श्रम बाजार परिदृश्य और बेरोजगारी के बिगडऩे की आशंका है। इस साल वैश्विक बेरोजगारी दर बढक़र इस साल 5.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। आईएलओ के मुताबिक जी-20 के सदस्य अधिकांश देशों में अतिरिक्त आय में कमी आई है। महंगाई बने रहने की वजह से जीवन स्तर में जो गिरावट हुई है, वह जल्द सुधरने वाली नहीं है। आईएलओ ने दुनिया भर में बढ़ती गैर-बराबरी और सुस्त उत्पादकता पर चिंता जताई है। लेकिन आईएलओ ने अपने एक अन्य अध्ययन के आधार पर कहा है कि चीन, रूस और मेक्सिको को छोडक़र जी-20 के सदस्य देशों में 2023 में औसत वास्तविक वेतन में गिरावट आई हुई। ब्राजील, इटली और इंडोनेशिया  में वास्तविक वेतन में सबसे तेज गिरावट देखी गई। तो उभरता आर्थिक परिदृश्य सबके सामने है, जिस पर नीति निर्माताओं को चिंता करने की जरूरत है।

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